हर दिन पावन एक विशेष प्रकार की पुस्तक है। भारत में कई विद्यालयों में प्रातःकालीन प्रार्थना के समय हर दिन एक बोध कथा या प्रेरक प्रसंग सुनाते हैं। एक बार मेरे मन में यह विचार आया कि यदि वह बोध कथा या प्रेरक प्रसंग उसी दिन से सम्बन्धित हो, तो उसका श्रोताओं पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
इस विचार पर काम करते हुए मैं ऐसी सामग्री एकत्र कर उन्हें अपने शब्दों में लिखने लगा। वर्ष 2008 में 12 खंड वाली यह पुस्तक ‘लोकहित प्रकाशन, संस्कृति भवन, राजेन्द्र नगर पूर्व, लखनऊ - 226004 (उ.प्र.)’ से प्रकाशित हो गयी। अब नया संस्करण भी प्रकाशनाधीन है। प्रथम संस्करण में 275 प्रसंग थे। नये संस्करण में 650 प्रसंग प्रकाशित होंगे।
यह पुस्तक अंग्रेजी तिथियों के आधार पर बनाई गयी है। प्रसंग में शब्द संख्या बहुत सीमित रखी गयी है, जिससे केवल पांच मिनट में ही उसे पढ़ा जा सके। तथ्य और तिथियां ठीक रखने का प्रयास हुआ है, फिर भी हो सकता है कि कुछ भूल हो गयी हो। उनकी ओर पाठक सप्रमाण ध्यान दिलाएंगे, तो उन्हें सुधार लिया जाएगा।
पुस्तक में स्वाधीनता सेनानी, संन्यासी, साहित्यकार, कलाकार, वैज्ञानिक, समाजसेवी, हुतात्मा तथा प्रेरक व रोचक ऐतिहासिक प्रसंग लिखे गये हैं। इसके निर्माण में सैकड़ों पुस्तकों तथा पत्र-पत्रिकाओं का उपयोग हुआ है। उन सबके लेखक, सम्पादक व प्रकाशकों को मैं धन्यवाद देता हूं।
पुस्तक में स्वाधीनता सेनानी, संन्यासी, साहित्यकार, कलाकार, वैज्ञानिक, समाजसेवी, हुतात्मा तथा प्रेरक व रोचक ऐतिहासिक प्रसंग लिखे गये हैं। इसके निर्माण में सैकड़ों पुस्तकों तथा पत्र-पत्रिकाओं का उपयोग हुआ है। उन सबके लेखक, सम्पादक व प्रकाशकों को मैं धन्यवाद देता हूं।
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भवदीय - विजय कुमार
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